Bihar Caste Census| बिहार में 'जाति जनगणना' की रिपोर्ट जारी; सामान्य-पिछड़ा... किस वर्ग में कितनी जनसंख्या? यहां पूरी लिस्ट देखें
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बिहार में 'जाति जनगणना' की रिपोर्ट जारी; सामान्य-पिछड़ा... किस वर्ग में कितनी जनसंख्या? यहां पूरी लिस्ट देखें

Bihar Caste Census Report 2022 Full List Check Here

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Bihar Caste Census Report 2022: बिहार में जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी की गई है। बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने रिपोर्ट को आज सार्वजनिक कर दिया। वहीं जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि, इस रिपोर्ट के आधार पर अब सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए काम हो पाएगा।

बता दें कि, जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट 2022 के अनुसार बिहार की कुल जनसंख्या 13 करोड़ से अधिक है। जिसमें हिंदू करीब 82% हैं और मुस्लिम- करीब 17.7%। बिहार में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 3 करोड़ 54 लाख 63 हजार 936 यानि 27.13% है, जबकि अति पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 4 करोड़ 70 लाख, 80 हजार 514 यानि 36.01% है, वहीं अनुसूचित जाति की जनसंख्या 2 करोड़ 56 लाख 89 हजार 820 यानि 19.65% है, जबकि अनुसूचित जनजाति जनसंख्या 21 लाख 99 हजार 361 यानि 1.68% है। इसके अलावा सामान्य वर्ग की जनसंख्या 2 करोड़ 02 लाख 91 हजार 679 यानि 15.52 प्रतिशत है।

वर्गों के अलावा अगर सिर्फ जाति अनुसार आंकड़ा देखा जाए तो बिहार में यादव- 14.26%, कुर्मी- 2.87%, मौर्य-शाक्य और कुशवाहा- 4.21%, ब्राह्मण- 3.65%, भूमिहार- 2.86%, राजपूत- 3.45%, मुसहर- 3.08%, मल्लाह- 2.60%, बनिया- 2.31%, कायस्थ- 0.60%, मोची,चमार,रविदास- 5.2% हैं। फिलहाल, इस जातिगत जनगणना के बाद बिहार में 2024 का चुनाव दिशा बदलने वाला है और बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में इसका असर देखने को मिलेगा। देश में और जगहों पर भी जाति आधारित जनगणना की मांग उठ रही है।

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पूरा ट्वीट

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट करते हुए लिखा- आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई। जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव  पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के  सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी एवं दिनांक 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी।

इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है। जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी तथा जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा।

जाति जनगणना पर लालू क्या बोले?

जाति जनगणना जारी होने के बाद बिहार के पूर्व CM और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का भी बयान सामने आया है। लालू ने कहा कि, आज गांधी जयंती पर हम सभी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने हैं। भाजपा की तमाम साजिशों, कानूनी अड़चनों और तमाम साजिशों के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे जारी कर दिया। ये आंकड़े वंचितों, उपेक्षितों और गरीबों के समुचित विकास और प्रगति के लिए समग्र योजना बनाने और आबादी के अनुपात में वंचित समूहों को प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए एक उदाहरण स्थापित करेंगे।

कांग्रेस पक्ष में, बीजेपी भड़क रही

इधर जाति जनगणना को लेकर कांग्रेस पक्ष में नजर आ रही है। कांग्रेस ने कहा कि, बिहार में जाति आधारित गणना के आंकड़े समाज में किस वर्ग की कितनी हिस्सेदारी है के सूचक हैं। आज पूरे देश को ऐसी ही गणना की जरूरत है। ताकि जिसकी जितनी आबादी हो, उसकी उतनी भागीदारी तय की जा सके। यही कारण है कि जननायक राहुल गांधी पूरे देश में जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। मनमोहन सिंह की सरकार ने जाति आधारित जनगणना कराई थी, लेकिन मोदी सरकार ने इसके आंकड़े जारी नहीं किए। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार भी जाति आधारित गणना करा चुकी है और हम हमेशा से इसके पक्ष में हैं। अगर मोदी सरकार जातिगत जनगणना नहीं कराएगी, तो हम 2024 में कांग्रेस की सरकार बनते ही जाति आधारित जनगणना कराएंगे, जिससे हर वर्ग को उनका हक मिल सके।

हालांकि, बीजेपी ने जाति जनगणना को लेकर बिहार सरकार पर हमला बोला है। जातीगत जनगणना की रिपोर्ट जारी करने पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह "जातीय जनगणना बिहार की गरीब जनता में भ्रम फैलाने के सिवा कुछ नहीं है। नीतीश कुमार के 15 साल और लालू यादव के 18 साल के अपने कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड देना चाहिए था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में गरीबों का क्या उद्धार किया, कितने लोगों को नौकरी दी। यह रिपोर्ट भ्रम के अलावा कुछ नहीं।

वहीं बिहार में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा, "रिपोर्ट में कुछ नयापन नहीं है। जो अनुमान था वही है। आप जो बता रहे हैं वह लगभग सबको पता है... इसमें जब तक पिछड़े लोगों के क्षेत्र के हिसाब से कुछ विस्तृत आता है तब पता चलेगा कि गणना की सच्चाई क्या है... बिहार का कितना कल्याण और उत्थान हुआ? चुनाव के समय अब यह कौन सा चमत्कार करेंगे यह हर समाज के लोग समझते हैं... इनके पास ना वीजन, ना नीति और ना ही नियत है।"